Sunday, July 19, 2009

एक था, वो भी गया...

जिस पर विश्वास करके उसे निहारा करता था, जिसे हमेशा देखने का मन करता था..अब वो भी फ़रेबी बनते जा रहा है... वो भी अपनी बिरादरी वालो की ही तरह उन्हीं की ज़ुबान बोलने लगा है... जब भी देश और दुनिया के बारे में जानना होता था, तो उसी पर भरोसा किया करता था... लेकिन वो भी अब उस बेवफा आशिक की तरह बनते जा रहा है जो आखिरी मौके पर दगा दे जाता है.. उसकी अपनी एक पहचान थी लोग उसका नाम बड़ी इज्ज़त के साथ लिया करते थे... उसके साथ अपना नाम बोलने में फक्र महसूस होता था, लेकिन अब उसकी बदली चाल देखकर उसके नाम से अपना जोड़कर बोलने में डर लगने लगा है,कहीं कोई सुन लेगा तो बड़ी रुसवाई होगी.. यूँ तो आज भी उसके साथ बड़े बड़े नाम जुड़े हुए है, लेकिन जिसे अपना आदर्श बनाया था अब उसी के कदम आदर्शो पर चलने से डगमगा रहे है... आप सभी सोच रहे होंगे कि आखिरकार वो कौन है,जो फरेबी और बेवफा हो गया है... तो आपकी ग़लतफ़हमी दूर कर देता हूँ... वो कोई इंसान नही है, बल्कि वो एक न्यूज़ चैनल है... एनडीटीवी इंडिया का नाम तो सुना ही होगा.. मैं उसी की बात कर रहा हूँ... न्यूज़ चैनल के पैमाने पर यही एक हिन्दी न्यूज़ चैनल था जो खरा उतरता था, लेकिन कुछ दिनों से देख रहा हूँ, कि ये चैनल भी अपनी बिरादरी के बाकी भाई बंधुओ की ही तरह अपना रंग दिखाने लग गया है... कल ही एनडीटीवी पर सास बहु की साजिशों को देखा... एक पल के लिए लगा जैसे सिगनल में कोई प्रॉब्लम हो गई है, शायद किसी दुसरे चैनल का सिग्नल एनडीटीवी के साथ एक्सचेंज हो गया है, लेकिन कुछ देर तक जब वही सब चलता रहा,तो अपनी आँखों पर यकीन करते हुए अपने मन को समझाने की कोशिश में जुट गया.. एनडीटीवी इंडिया एक ऐसा न्यूज़ चैनल है, जिसमे काम करना हर जर्नलिस्ट का सपना होता है... बड़ी बात नही है मेरा भी है, लेकिन चैनल की इस बदली पॉलिसी के पीछे क्या राज़ है इसका अंदाजा नही लग पा रहा है... एक वजह जो बार बार ज़हन में आती है, वो न्यूज़ चैनल्स के बीच चल रहे टीआरपी वार की तरफ इशारा करती है, लेकिन इस वजह को मानने का दिल नही मानता है. क्योकि टीआरपी वार तो सालो से न्यूज़ चैनल्स के बीच चल रहा है, और इससे पहले एनडीटीवी कभी इस दौड़ में नही था.. तो ऐसा क्या हुआ जो अचानक एनडीटीवी को इसमें कूदने की ज़रूरत महसूस हुई... शायद मेरे दिमाग से निकली ये वजह ग़लत भी हो सकती है, लेकिन इस बात में कोई दो राय नही कि एक था, और वो भी गया..

No comments:

Post a Comment